दो दर्जन बैंक शाखाएं हो सकती है बंद?

 दो दर्जन बैंक शाखाएं हो सकती है बंद?


बालाघाट। केंद्र शासन द्वारा देा और राष्ट्रीयकृत बैंक सेंट्रल बैंक और बैंक आफ महाराष्ट्र को निजीकरण करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। योजना के मुताबिक आगामी 6 माह के भीतर यह दोनो बैंक निजीकृत हो जाएंगी, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि इन दोनो बैंको का निजीकरण होने से बालाघाट जिले का एक बहुत बड़ा तबका इससे प्रभावित होगा। आंकड़ो के मुताबिक जिले के भीतर दोनो ही बैंको के संचालित दो दर्जन शाखा पूरी तहर से बंद हो जाएगी।
निजीकरण हुआ तो बंद हो जाएंगे बहुतायत खाते
नियम के मुताबिक निजीकृत बैंको में शासकीय कर्मचारियों की वेतन और पेंशनरों की पेंशन आती है। पेंशनरों के सामने पेंशन लेने के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी क्योंकि निजीकृत बैंक खासतौर पर यह सुविधा नही देती। इस कारण बड़ी संख्या में इन दोनो शाखाओ के खाते बंद हो जाएंगे। जिससे इन दोनो बैंको की ग्रामीण शाखाओं के बंद होने का खतरा और अधिक तेजी से मंडराएगा। इससे इन बैंको के खातेदार दूसरे बैंको में चले जाएंगे निश्चित ही इससे बैंको के व्यवसाय पर भी प्रभाव पड़ेगा।
ग्रामीण क्षेत्रो की शाखाएं चलती है नो प्रॉफिट नो लॉस में
आंकड़ो के मुताबिक जिले के भीतर सेंट्रल बैंक की 16 शाखाएं जिसमें से बालाघाट शाखा को छोड दिया जाए तो सभी ग्रामीण क्षेत्रों में है। इसी तरह महाराष्ट्र बैंक की 11 शाखाएं है। जिसमें से 9 शाखाएं ग्रामीण क्षेत्रों में है। आपको बता दे कि ग्रामीण क्षेत्रो की शाखाएं तो प्रॉफिट नो लॉस में चल रही इस कारण इनके बंद होने का खतरा अधिक मंडा रहा है।
ऐसा हुआ तो पूरे प्रदेशभर की जनता होगी परेशान
निश्चित तौर पर यदि केंद्र सरकार अपने मसौदे पर अडिग रही तो सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र आगामी 6 महा के भीतर गवर्नमंट ऑफ इंडिया केें उपक्रम  से बदलकर निजीकृत बैंक हो जाएंगे। जिसके साथ ही शुरू हो जाएगी जिले के भीतर एक बड़े तबके की बैंको को लेकर होने वाली परेशानी। ऐसे में शायद जिले के लोग यही कहे कि सरकार चाहे तो एक बार और अपने इस फैसले पर विचार करे। क्येांकि यह अकेले बालाघाट जिले की परेशानी नही बल्क् िमध्यप्रदेश के अन्य जिलो के साथ ही यह दोनो बैंक जिस प्रदेश में भी संचालित हो रहे है उन सभी क्षेत्र की ग्रामीण जनता को परेशानी होगी। हालंाकि यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि राष्ट्रीकृत बैंक निजीकृत की जाती है या फिर शासन मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए व्यापार के पहलू को किनारे कर इन दोनो बैंको को पूर्व की तरह संचालित होने देती है।

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