कोई टाइटल नहीं

 नामांतरण, डायवर्सन व बंटवारा के लिए राजस्व कार्यालयों के चक्कर लगाकर पक्षकार


कटंगी। अचल संपत्ति क्रय विक्रय रजिस्ट्री कराने के बाद वसीयत फौती नामांतरण व डायवर्सन के लिए आवेदकों और पक्षकारों को कटंगी व तिरोड़ी तहसील के चक्कर लगाकर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं दूरस्थ इलाकों से आकर अपने कामों को छोड़कर तहसील के चक्कर व राजस्व कार्यालय के चक्कर लगाते रहते हैं। जबकि रजिस्ट्री के समय बायोमेट्रिक जांच एवं फिजिकली इन्वेस्टिगेशन की जाती है। इसके बावजूद क्रेता विक्रेताओं को तहसील व राजस्व कार्यालय के कर्मचारी बार-बार तारीख देकर उन्हें जितनी फीस नहीं उससे ज्यादा पैसे लिए जा रहे और नहीं दिए जाने पर फाइल को गुम होने का हवाला देते है। जिसके चलते पक्षकार परेशान हो रहे हैं।

धन्यवाद चौक तिरोड़ी निवासी सेवानिवृत्त कर्मचारी जनुजी भगत ने बताया कि पक्षकारों को इतना बाध्य कर देते हैं कि वह अपने काम के बदले इनकी जेब गर्म करने के लिए राशि इधर उधर से जुगाड़ कर रिश्वत के रूप में देता है। यह रिश्वत की राशि लेने के बाद ही उन पक्षकारों को परेशान करते हैं। रजिस्ट्री में विक्रेता कई बार महानगरों का रहने वाला होता है जो कि कोरोना संक्रमण काल के कारण रजिस्ट्री कराने के बाद-बार तहसील या कोर्ट कार्यालयों का चक्कर नहीं लगा सकता। क्रेता इन बाबुओं के चक्कर लगा लगाकर आखिर नामांतरण व डायवर्सन को भूल जाते है, फिर समयावधि बीत जाने के बाद इन पर यही कर्मचारियों द्वारा जुर्माना वसूला जाएगा कहा जाता है जो कि अप्रांसगिक है। इस बात पर जब इन्हें बोला जाता है कि अपनी फाइल कब जमा किए थे प्रमाण लाओ तो और भी विकट स्थिति का सामना करना पड़ता है। क्योंकि फाइल जमा करने के बाद इन कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा ओसी नहीं दी जाती है। वे इन्हें ओसी कहा से लाकर दे इससे बैरंग ही वापस लौटना पड़ता है। उन्होंने बताया कि उनसे डायर्सवन के नाम पर 18 हजार रुपये मांग की गई थी। जबकि फीस को साढ़े तीन हजार रुपये लगती है। उन्होंने कहा कि इसकी नामजद शिकायत राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से कर जांच की मांग करेंगे।
यहां भी यही परेशानी : ऐसे ही डायवर्सन में एसडीएम कार्यालय के चक्कर लगाकर परेशान हो रहे पक्षकारों ने बताया कि बिना पैसे दिए तहसील व राजस्व कार्यालय में कोई भी काम करने तैयार नहीं होता। जबकि नामांतरण, बंटवारे, वसीयत की कार्रवाई को रजिस्ट्री के बाद एक पेशी में निपटारा करना चाहिए, लेकिन होता नहीं है। नियमानुसार सरकारी आदेश यह है कि बंटवारे, नामांतरण, वसीयत और अचल संपत्ति बेचने के लिए अब लोगों को दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। संपत्ति की पहली रजिस्ट्री कराते ही इन सभी मामलों के लिए प्रकरण अपने आप ही दर्ज हो जाएगा। आनलाइन प्रक्रिया पूरी करने पर एसएमएस से राजस्व कोर्ट का नाम और सुनवाई की तारीख तय होगी। समय सीमा में तुरंत समाधान हो जाएगा। साफ है कि रजिस्ट्री के बाद किसी भी व्यक्ति को नामांतरण या अन्य काम के आवेदन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
मालिक खुद कर सकेगा अपनी जमीन का डायवर्सन : भूमि के डायवर्सन के लिए अब किसी को भी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के न्यायालय से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। अब भूमि स्वामी अपनी भूमि का विधि सम्मत जैसा चाहे डायवर्सन कर सकेगा। उसे केवल डायवर्सन के अनुसार भूमि उपयोग के लिए देय भू राजस्व व प्रीमियम की राशि की स्वयं गणना कर राशि जमा करानी होगी। साथ ही इसकी सूचना अनुविभागीय अधिकारी को देनी होगी। यह रसीद ही डायवर्सन का प्रमाण मानी जाएगी। अनुज्ञा लेने का प्रावधान अब समाप्त किया जा रहा है। साथ ही नए मकान बनाने पर मालिक को 60 दिन के भीतर डायवर्जन के लिए आनलाइन आवेदन करना होगा। इस समय सीमा के बाद आवेदन करने पर प्रीमियम राशि का 12 फीसदी ब्याज देना होगा।
डायवर्सन बनाने आया था। उसने अपना चालान भरा और काम करवाकर चला गया। पैसे के संबंध में ऐसी कोई बात नहीं है।
-शंकरदयाल कौल, राजस्व निरीक्षक, कटंगी।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.