प्रधानमंत्री आवास रेत में हुआ गरीबों से बड़ा मजाक
नदी किनारे गाँव वाले हितग्राही भी 50 किमी दूर घाट से लाएंगे रेत
रेत ठेकेदार ने ना पूछकर सरपंच,सचिव से लिस्ट बनती तो होता लाभ
ठेकेदार की कूटनीतिक चाल से अब भी 2-3 हजार में मिल रही रेत।
बालाघाट। विगत 7 तारीख को जिला प्रशासन द्वारा प्रधान मंत्री आवास योजना अन्तर्गत निर्माण होने वाले आवास हितग्राहियों को सस्ती दर 600/ छ: सौ रुपये में रेत दिलाने का बड़ा खूबी से मजाक किया गया। ज्ञात हो कि सस्ती रेत उपलब्ध कराने विगत 7 फरवरी को जिला प्रशासन द्वारा एक पत्र जारी किया गया जिसके माध्यम से सम्पूर्ण बालाघाट जिले की रेत खदानों की ब्लाक, जनपद व ग्राम पंचायतवार सूची एवं रेत ठेकेदार सहित मोबाईल नम्बर जारी किए गए जिसके आधार पर आवास हितग्राही कम दाम 600/ रुपये ठेकेदार को देकर रेत ला सकते हैं कहकर खूब वाह वाही लूटी किंतु अब जैसे हितग्राहियों ने रेत ठेकेदारों ट्रेक्टर मालिको से सस्ती दर पर रेत की बात कही तो रेत के भाव सुनकर होश उड़ गए क्योंकि रेत भाव कम होने के बजाय और अधिक होने की जानकारी सामने आ रही है। ट्रेक्टर मालिको से प्राप्त जानकारी अनुसार जिला कलेक्टर द्वारा रेत खदानों की जो सूची जारी की गई है वो खुद त्रुटि पूर्ण है और जिस ग्राम में खुद नदी नाले में रेत उपलब्ध है वहा के हितग्राहियों के लिए भी 20-30 किमी दूर की रेत खदान से रेत परिवहन करने आदेश जारी किया गया है जिसका सबसे ज्यादा खामियाजा लालबर्रा ब्लाक को भुगतना पड़ रहा है जारी सूची अनुसार खुद छेत्रिय विधायक व सरकार में मंत्री दर्जा प्राप्त गौरीशंकर बिसेन के गृह ग्राम लेण्डेझरी, गर्रा के हितग्राहियों को छिंदलई रेत खदान से रेत लेना होगा जिसकी इन ग्रामो से दूरी लगभग 40-50 किमी है जबकि इन ग्रामो के पास से ही वैनगंगा नदी गुजरी है ठीक इसी तरह टेकाडी, चीचगाँव, सालई, पनभिहरी, मानपुर, अमोली, दादिया, खारी, खिररी, बम्हनी, से सर्राठी नदी गुजरी जहाँ खुद रेत का अंबार है इन पंचायतो को भी 20 किमी दूर स्थित ग्राम छिंदलाई से रेत लाने घाट दिया गया है जबकि लालबर्रा ब्लाक में ग्राम पंचायत पांढरवानी, ऑलियकंहार, अतरी, सिहोरा, पथरसाहि, कंजई, रानिकोठार, नगपुरा, धरवासी, रामपुरी, खुरपुड़ी, टेकडी, डोकरबंदी, बकोडा, बेलगाँव, घोटी, के नालों में रेत है किंतु षणयंत्र पूर्वक रेत ठेकेदार ने जानबूझकर सम्पूर्ण लालबर्रा ब्लाक की 77 ग्राम पंचायतों के लिए छिंदलई रेत खदान से रेत लाने पत्र जारी करवा दिया है, सूची से प्राप्त जानकारी अनुसार सबसे ज्यादा बुरी स्तिथि सतारूड़ पार्टी नेताओं के छेत्रो बालाघाट, परसवाड़ा की है। कुछ ट्रेक्टर मालिको ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि पूर्व में 4-5 किमी तक रेत 2000-2500 में देते थे किंतु हितग्राही अनुसार निर्धारित रेत खदान से वही रेत 3000 से कम नही पड़ रही है क्योंकि रेत घाट की दूरी अधिक होने से मजदूरों को अधिक राशि देने के साथ साथ समय अधिक लगता है इसलिए दाम कम होने के बजाय अधिक हो गए हैं, इसी कारण ग्रामीण जन अब खुद ही बैलगाड़ी, हाथ ठिलिया व सायकल से ही थोड़ी थोड़ी रेत लाकर अपना मकान निर्माण कार्य कर रहे हैं।
आवास हितग्राहियों ने जनप्रतिनिधियों को आड़े हाथ लेते हुए बताया कि चुनाव में हमारे वोट से ही विधायक, सांसद बनते हैं और मौका पड़ता है तो देखते तक नहीं, 2 वर्ष पूर्व ग्राम पंचायतों से पीली रॉयल्टी प्राप्त कर आस पास के नदी नालों से सस्ती दर लगभग 500 से 600 सौ पांच से छ: सौ रुपये प्रति ट्रेक्टर ट्राली मिल जाती थी पर यही रेत आज उन्हें दो से तीन हजार में मिल रही है।