इबादत का माहे रमजान प्रारंभ
बालाघाट। इस्लाम धर्म के पांच प्रमुख फर्ज में रोजा एक फर्ज है। जो माहेरमजान की आमद के साथ पूरा एक माह रखा जाता है। यही इबादत का महिना रमजान की आमद होने जा रही है, यदि 2 अपै्रल को चांद नजर आया तो रमजान का पहला रोजा 3 अपै्रल को होगा अन्यथा 4 अपै्रल से माहे रमजान की शुरूआत हो जायेगी। रमजान के पवित्र माह में पांचो वक्त की नमाज के अलावा तराबी की विशेष नमाज के अलावा तराबी की विशेष नमाज भी पड़ी जाती है।
इस्लाम धर्म के अनुसार रमजान महिने के पूरे रोजे रखना हर मुसलमान पर फर्ज है। रोजे का अर्थ होता है रूकना, परहेज करना और दूदर रहना क्योंकि रोजदार सुबह सूरज निकलने से पहले और सूरज डूबने तक खाने-पीने और दूसरी तमाम बुराईयों से परहेज करता है। अगर कोई रोजदार इस समय के दौरान कुछ खाए पी ले या दूसरी ख्वाहिश पूरी कर ले तो उसका रोजा टूट जाता है। ज्ञात हो कि इसी पवित्र माह रमजान में अल्लाह की पवित्र किताब कुरान पैंगबर हजरत मोहम्मद पर उतारी गई। जिसमें पूरी दुनिया के लोगों की भलाई और बेहतरी तथा अमन, शांति का संदेश दिया गया। माहे रमजान के पूरे माह में कुछ खाव तारीखे है जिनको धर्मावलंबी और रोजदार उन दिनो को बड़े ही अकीदत के साथ मानते है। जिसमें माहे रमजान के पहले रोजे को गौसे आजम की यौमे पैदाईश है। इसी के साथ तीसरे सत्रवे रोजे इक्कीसवें रोजे एवं सत्ताईसवे रोजे का रमजान के महिने में विशेष महत्व है।
ईमान तंजीम के प्रदेश संगठन मंत्री हाजी शोएब खान ने जिले के मुस्लिम धर्मावलंबियों से कहा कि इस वर्ष माहे रमजान का पर्व रोजदारों का इम्तेहान लेगा। चूंकि वर्तमान में भीषण गर्मी है और रोजा लगभग 14 घंटे का होगा। उन्होंने कहा कि जिसे देखते हुए रोजदार पूरे इत्मीनान, सुकुन और सब्र के साथ इबादत करें।