माता पांढरी पाठ के मंदिर में धूप की तपन को परास्त कर उमड़ा जनसैलाब
- मशहूर गायिका नेहा कक्कड़ पहुंची वारी
लांजी। वारी के प्रसिद्ध पांढरी पाठ माता मंदिर में 111 फीट उंची धर्मध्वज पताका के शुभारंभ अवसर पर लोगों का भारी हुजुम उमड़ पड़ा, इस ध्वजा का शुभारंभ कार्यक्रम आयोजक कैलाश हुड़मे के शुभहस्ते किया गया, इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक हिना कावरे, भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश भटेरे, पूर्व विधायक किशोर समरिते, मंदिर पुजारी रेखलाल कावरे, संरक्षक डॉ. सुधीर दशरिया, ऋषि दशरिया एवं अनेक श्रद्धालु भक्तजन उपस्थित रहे। 02 अप्रैल 2022 का दिन वारी मंदिर के ध्वजारोहण और माता के मंदिर में पंहुचे भक्तों ही नही बल्कि इस कार्यक्रम के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर गवाह बने लोगों के लिए भी यादगार पल बन गया। तहसील के प्रसिद्ध वारी मंदिर में सुबह माता की आरती के साथ ही दिप ज्योति कलश प्रज्वलित कर वारी ग्राम का भ्रमण कराया गया, इस दौरान गाजे बाजे के साथ निकाली गई कलश यात्रा में मंदिर पुजारी रेखलाल कावरे, संरक्षक डॉ. सुधीर दशरिया, कैलाश हुड़मे के साथ ही अनेक महिलाएं, युवा, बुजुर्ग आदि भक्तजन शामिल हुए।
नेहा कक्कड़ हो ढोल ताशे की संगीतमय धुन के साथ उन्हे मंदिर परिसर लाया गया जहां से पालकी पर बिठाकर उन्हे मंदिर के भीतर ले जाया गया जहां नेहा कक्कड़ ने माता पांढरी पाठ के श्रीचरणों में माथा टेककर आशिर्वाद लिया और उसके उपरांत कार्यक्रम स्थल पर पंहुची जहां मंच से भी उन्होने दर्शको और फैंस का अभिवादन किया, वहीं माता पांढरी पाठ माता का छायाचित्र स्मृति चिन्ह गायिका नेहा कक्कड़ को प्रदान किया गया। नेहा कक्कड़ ने अपने फैंस को निराश ना करते हुए मां तु कितनी अच्छी है, मिले हो तुम हमको जैसे कुछ गानों की प्रस्तुतियां भी दी और मौजूद लोगों का दिल जीत लिया।
- वारी मंदिर नवरात्रि विशेष
एक समय था जब इस पहाड़ी पर सिर्फ एक मंदिर ही था जिसमें माता की प्रतिमा विराजमान थी, भक्तगण जब भी वारी डेम पिकनिक मनाने आते थे तो एक बार इस मंदिर के दर्शन जरूर कर लेते थे, कई सालों तक यह क्रम अनवरत चलता रहा उसके बाद कुछ हृदय विदारक घटना भी घटित हुई लेकिन आखिरकार मातारानी के इस दरबार में लगातार लोगों की मनोकामना पूर्ति का सिलसिला ऐसा चला कि आज मंदिर की कायापलट हो चुकी है, जहां लोग मंदिर में पिकनिक मनाने आते थे आज उस माता का ही आशिर्वाद है कि यहां लोग अब पिकनिक से ज्यादा माता का आशीष और प्रसादी ग्रहण कर अपनी बिगड़ी को बनाने आते है, मतलब साफ है कि जहां माता स्वयं सतरूपा होकर विराजमान है आज उस क्षेत्र में पिकनिक स्थल एक प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र के रूप में पहचाना जाने लगा है और इसके पीछे पुजारी रेखलाल कावरे और उनका हर पग पर साथ देने वाले डॉ. सुधीर दशरिया के परिवार का अहम योगदान रहा है। रेखलाल कावरे आज क्षेत्र में एक जाना पहचाना नाम है और उनकी यह पहचान माता पांढरी पाठ का सुप्रसिद्ध मंदिर है। नवरात्रि पर संपूर्ण क्षेत्र में सर्वाधिक कलश देश के विभिन्न प्रदेशों के भक्तों के द्वारा यहां स्थापित किए जाते है।