मप्र को इंडस्ट्री हब बनाने में एससी-एसटी उद्यमियों का होगा अहम योगदान
- डिक्की ने एससी-एसटी उद्यमियों के लिए बनाया ईज ऑफ डूइंग बिजनेस मॉडल
- बालाघाट में खुलेगा डिक्की कार्यालय, जल्द होगी उद्योग कार्यशाला
- भोपाल में एसएसी-एसटी उद्यमियों की कैपेसिटी बिल्डिंग कार्यक्रम
- बालाघाट -से शामिल हुए अनेक उद्यमी
- जिले में जल्द खुलेगा डिक्की कार्यालय, होगी उद्यमिता कार्यशाला
बालाघाट। मप्र को इंडस्ट्री हब बनाने में एससी-एसटी उद्यमी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। लघु सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर उपलब्ध अनाज,फल सब्जियों और अन्य उत्पादों पर आधारित प्रसंस्करण इकाईयां के साथ ही माईनिंग, वेयरहाउसिंग जैसे क्षेत्रों में उद्यमिता और स्व-रोजगार के अवसर सृजित किए जा रहे हैं। इन सभी क्षेत्रों में इन वर्गों के उद्यमी और युवा तेजी से आगे आकर इनका लाभ ले रहे हैं। व्यापार करने में आने वाली कठिनाईयों को दूर करने के लिए दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डिक्की) ने इन वर्गों के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस मॉडल तैयार किया है।
डिक्की ने भोपाल में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के उद्यमियों, कारोबारियों और युवाओं उद्योग करने में पारंगत करने के लिए दो दिवसीय कैपेसिटी बिल्डिंग कार्यक्रम किया। इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के सभी जिलों से उद्यमियों और कारोबारियों ने भाग लिया। बालाघाट जिले से युवा उद्यमी रिनी हर्षवर्धन,हर्षवर्धन फुलमारे,सिद्धार्थ बंसोड़,मनीष मेश्राम ने इस कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने अपने जिले में उपलब्ध संसाधनों पर आधारित उद्योगों की स्थापना पर चर्चा की।
कार्यक्रम में एससी-एसटी वर्ग के उद्यमियों और युवाओं को बिजनेस लीडरशिप की ट्रेनिंग दी गई। विषय विशेषज्ञों ने उन्हें विस्तार से सफल उद्यमी बनने के गुर सिखाए। भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार की एजेंसियों ने इन्हें प्रमुख सरकारी योजनाओं की जानकारी और उनका लाभ लेने की प्रक्रिया बताई। जिलों में डिक्की के कार्यालय की स्थापना और स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करने का प्रशिक्षण भी दिया गया। डिक्की मध्यप्रदेश के अध्यक्ष डॉ. अनिल सिरवैयां ने अगले एक वर्ष का रोडमैप प्रस्तुत किया, जिसमें 500 से अधिक मैन्युफ्रेक्चिरिंग इंडस्ट्री और 20 कलस्टर बनाने की कार्ययोजना प्रस्तुत की।
इन्होंने सिखाएं बिजनेस के गुर
कार्यक्रम के अलग-अलग सत्रों में देश-दुनिया के विषेषज्ञों ने प्रतिभागियों को सफल व्यवसायी बनने के टिप्स दिए। डिक्की के संस्थापक अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. मिलिंद कांबले ने आजादी के 75 साल (अमृत महोत्सव) में देश में दलित आदिवासी उद्यमिता की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला। डिक्की के नेशनल प्रेसिडेंट पद्मश्री रविकुमार नारा ने डिक्की 17 सालों की यात्रा के बारे में बताया कि कैसे डिक्की ने देश के एससी-एसटी युवाओं को बिजनेस का मंत्र दिया। इन युवाओं को सक्सेस करने के लिए डिक्की के प्रयासों की उन्होंने जानकार दी।
इन वरिष्ठ अधिकारियों ने दिया मार्गदर्शन
पशुपालन, खाद्य प्रसंस्करण और उद्यानिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव जेएन कांसोटिया ने प्रतिभागियों से कहा कि हर दम पॉजीटिव रहें और अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार रहें। उद्यानिकी और आयुष विभाग के आयुक्त डॉ. ई. रमेश कुमार ने प्रतिभागियों को विभाग की प्रमुख योजनाओं की जानकारी देते हुए इनका लाभ लेने के प्रेरित किया। डॉ. मनोज आर्य ने डिक्की के कार्यों और भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर के आर्थिक विकास के कार्यों और उनके योगदान के बारे में बताया।
बिजनेस कोच जयश्री नायर ने बिजिनेस लीडरशिप पर व्यख्यान दिया।
स्वच्छता उद्यमी इम्तियाज अली ने स्वच्छता को लेकर नए रोजगार के अवसर प्रदान किया। कचरे से कैसे नए रोजगार की शुरुआत की जाए, इसकी जानकारी दी। मुख्यमंत्री के उप सचिव लक्ष्मण सिंह मरकाम ने कहा कि भविष्य में ऑर्गेनिक उत्पादों की बेहद मांग रहेगी। आर्गेनिक मिल्क 500 रुपए लीटर तक बिकेगा। एससी-एसटी के युवा इस अवसर का लाभ उठाएं।
भारतीय स्टेट बैंक के सीजीएम श्री बिनोद कुमार मिश्रा ने एसबीआई की वित्तीय सेवाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा एसबीआई और डिक्की के मध्य हुए एमओयू को मप्र में सफलता पूर्वक क्रियान्वयन किया जाएगा।
आत्मनिर्भर मप्र के लिए डिक्की रोडमैप
सभी जिलों में डिक्की के कार्यालय खोले जाएंगे।
आत्मनिर्भर जिला की कार्ययोजना तैयार की गई।
प्रत्येक जिले में कम से कम 20 माइक्रो फूड प्रोसेसिंग यूनिट का लक्ष्य।
प्रत्येक 20 से 50 लाख की कम से कम 5 इकाईयां स्थापित कराने का लक्ष्य।
प्रत्येक जिले में 50 लाख से 1 करोड़ की 5 इकाईयां स्थापित कराने का लक्ष्य।
प्रत्येक जिले में एक करोड़ से अधिक की कम से कम 2 इकाईयां स्थापित कराने का लक्ष्य।
वेयरहाउसिंग, लॉजिस्टिक, माइनिंग, फूड प्रोसेसिंग और एसमएसमई सेक्टर में एससी-एसटी युवाओं के लिए जिलेवार जागरूकता कार्यक्रम