शंकर तालाब का सौंदर्यीकरण करने पर किया जा रहा जोर वारासिवनी में होगी सहूलियत
वारासिवनी। नगर के जलस्तर को बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला शंकर तालाब अपनी दुर्दशा आंसू बहा रहा है।इधर, जनप्रतिनिधि, प्रशासन में बैठे हुए अधिकारी और ठेकेदार इस तालाब के सौंदर्यीकरण व जीर्णोंद्धार के नाम पर भ्रष्टाचार का खुला खेल खेलते रहते हैं, लेकिन पिछले 20 वर्षों से इस तालाब का ना तो जीर्णोंद्धार हो सका हैं और ना ही सौंदर्यीकरण।जबकि इस तालाब के सौंदर्यीकरण व जीर्र्णोंद्धार के नाम पर आज तक करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
नगर के हृदय स्थल में लगभग 25 एकड़ में फैले हुए इस तालाब की दुर्दशा का मुख्य कारण इसके आजू बाजू भाजपा, कांग्रेस के बड़े नेताओं के घर व कार्यालय के साथ ही एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए तालाब से लगकर बने हुए मकान, कालोनी और कांप्लेक्स के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों में इच्छा शक्ति का अभाव हैं। जो भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि नगरपालिका की गद्दी पर बैठता हैं वह तालाब के सौंदर्यीकरण व जीर्णोंद्धार के नाम पर ठेकेदारों के साथ मिलकर सिर्फ रकम का बंदरबांट करता हैं और तालाब का सौंदर्यीकरण व जीर्णोंद्धार बहुत पीछे छूट जाता है।
इस शंकर तालाब के जीर्र्णोंद्धार व सौंदर्यीकरण का कार्य नगरपालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष निर्दोष मॉडल के कार्यकाल से प्रारंभ हुआ था। उसके बाद गंगोत्री कालोनी को सर्वसुविधायुक्त बनाने के लिए डा. योगेंद्र निर्मल, फिर स्मिता जायसवाल और उनके बाद निवर्तमान अध्यक्ष विवेक पटेल द्वारा करवाया गया। लेकिन इन 20 वर्षों में इन सभी अध्यक्षों ने शंकर तालाब का कैसा और कौन सा सौंदर्यीकरण और जीर्र्णोंद्धार करवाया हैं। इसको आज तक नगर की जनता समझ नहीं पाई हैं। इन चारों अध्यक्षों के कार्यकाल में शंकर तालाब केसौंदर्यीकरण व जीर्णोंद्धार पर करोड़ों रुपये की राशि खर्च हो चुकी हैं। लेकिन सौंदर्यीकरण और जीर्र्णोंद्धार तो दूर की बात रही। इस तालाब की भूमि पर किए गए अतिक्रमण को भी उच्च न्यायालय व कलेक्टर बालाघाट के आदेश के बाद आज तक नहीं हटाया जा सका हैं। इसके उलट शंकर तालाब की भूमि पर और अतिक्रमण हो गया हैं। जिसकी ओर नगरपालिका प्रशासन में बैठे हुए अधिकारियों का कोई भी ध्यान नहीं हैं।
एक करोड़ रुपये आए है सौन्दर्यीकरण के लिए
नगरपालिका परिषद में विवेक पटेल का अध्यक्षीय कार्यकाल वर्ष 2020 में समाप्त होने के बाद से प्रशासक का कार्यकाल चल रहा हैं। घटिया स्तर के काम पर एसडीएम ने लगाई थी रोक ठेकेदार द्वारा जिस घटिया स्तर का निर्माण कार्य शंकर तालाब के सौंदर्यीकरण व जीर्र्णोंद्धार के कार्य में किया जा रहा हैं उसकी मिसाल कहीं देखने को नहीं मिल सकती हैं। तत्कालीन नगरपालिका प्रशासक व एसडीएम संदीप सिंह ने एक शिकायत के बाद निर्माण कार्य स्थल का निरीक्षण कर घटिया किस्म के चेकर्स को निकालने के आदेश दिए थे और काम पर रोक लगा दी थी। कुछ महीनों तक तो ठेकेदार द्वारा ना तो चेकर्स निकाले गए और ना ही काम किया गया। उसके बाद दिखावे के लिए चेकर्स निकाले गए और पुन: उन्हीं चेकर्स को वापस लगा दिया गया। लेकिन फिर दोबारा ना तो एसडीएम ने निर्माण कार्य का निरीक्षण किया और ना ही नगरपालिका के उपयंत्री व सीएमओ ने कार्य की ओर ध्यान दिया।
तालाब की मिट्टीी से ही हो रहा पीचिंग कार्य
वर्तमान समय में तालाब की पार को मजबूत करने के लिए पीचिंग का कार्य किया जा रहा हैं। तालाब से निकली हुई मिट्टी व मुरम से किस स्तर का पीचिंग कार्य ठेकेदार किया जा रहा है। इसकी ओर जिम्मेदार अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं हैं।
तालाब में पानी नहीं होने से सूखे कुॅये
तालाब के इस सौंदर्यीकरण व जीर्णोंद्धार कार्य के कारण इस वर्ष शंकर तालाब में नगरपालिका द्वारा पानी नहीं भरवाया गया हैं। जिसके कारण शंकर तालाब के आसपास के रहवासी इलाकों के घर के कुएं सूख गए हैं और नागरिकों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा हैं।
इनका कहना
तालाब सौंदर्यीकरण का कार्य चल रहा हैं, इसीलिए नहीं भरवाया गया हैं।
राधेश्याम चौधरी सीएमओ नपा वारासिवनी