बालाघाट की पहचान बने साइबेरियन पक्षियों की अचानक हो रही मौत
बालाघाट। अप्रवासी पक्षी कुछ समय के लिए अलग-अलग स्थानों पर आते हैं और कुछ समय तक समय गुजारने के बाद अपने स्थानों पर वापस चले जाते है, लेकिन बालाघाट के मोती तालाब परिसर में सालों पहले आए अप्रवासी साइबेरियन पक्षी अब न सिर्फ बालाघाट के प्रवासी पक्षी बन चुके है। बल्कि बालाघाट की पहचान भी बन चुके हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से रोजाना इन पक्षियों की मौत हो रही है और पेड़ों से गिरकर ये पक्षी सड़क पर दिखाई दे रहे है, जिसमें बच्चों के साथ ही बड़े पक्षी भी शामिल है। जिससे इन पक्षियों में संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ गया है। वैसे भी वर्तमान समय में लंपी नामक बीमारी के साथ ही कोरोना के अलग-अलग वायरस के साथ ही अन्य संक्रमित बीमारियों का खतरा भी बना हुआ है। हालांकि, पशु चिकित्सक इस मामले में संपूर्ण जांच व जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पक्षियों की मौत का स्पष्ट कारण बताने की बात कह रही है, लेकिन विभाग भी पक्षियों की हो रही मौत से चिंतित नजर आ रहे हैं और पक्षियों के रहवासी स्थल के साथ ही आसपास के क्षेत्र में निगरानी कर रहे हैं।
छोटे के साथ बड़े पक्षियों की मौत संदेह कर रही उत्पन्न
साइबेरियन पक्षयों की मोत की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे पशु रोग चिकित्सक डा. घनश्याम परते ने बताया कि साइबेरियन पक्षी मोती तालाब परिसर के बड़े-बड़े पड़ों में निवास करते है तो ऐसे में छोटे बच्चे घोंसले से गिरकर मर सकते है, लेकिन बड़े साइबेरियन पक्षियों की मौत होना संदेह को उत्पन्ना करती है। उन्होंने बताया कि परिसर की देखरेख करने वालो से पूछताछ करने पर यह जानकारी मिलेगी है कि ये पक्षी मर रहे है जिन्हें नगर पालिका का अमला उठाकर ले जाता है। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि ये किसी वायरल बीमारी, लंपी, रानी खेत, कंबौरो से पीडि़त हो सकते है लेकिन लैब में पोस्टमार्टम व जांच के बाद ही निश्चित तौर पर इस बारे में कहा जा सकता है।
लंपी व कोरोना से हुए हो चुके है पीडि़त पक्षी:
पशु चिकित्सा विभाग के चिकित्सक डा. घनश्याम परते के बताए अनुसार पिछली बार जब कोरोना संक्रमण तेजी से फला था तब भी इसकी चपेट में पक्षी भी आए थे। वहीं राजस्थान से जब लंपी बीमारी की शुरुआत हुई थी तब सबसे पहले ये बीमारी कव्वों को हुई थी और इसके बाद महाराष्ट्र के रास्ते मध्यप्रदेश के अन्य जिलों के साथ ही बालाघाट भी पहुंची थी, जिससे गोवंश सबसे अधिक प्रभावित हुए थे और पक्षियों में भी असर देखने को मिला था।
आइसोलेट व देखरेख न करने पर हो सकती है मौत:
चिकित्सों के बनाए अनुसार लंपी बीमारी में चमड़ी में गोल धब्बे आते है और जगह-जगह गांठ बन जाती है। खाना-पिना बंद हो जाता है और तेज बुखार आता है। ऐसे में इस बीमारी से पीडि़तों को आइसोलेट कर देखरेख न करने की स्थिति में मौत हो जाती है और इसका संक्रमण भी तेजी से फैल जाता है। जिसके चलते ही विभाग का स्टाफ मोती तालाब परिसर में नियमित देखरेख करने में जुट गया है।
निगरानी की जा रही है
साइबेरियन पक्षी अप्रवासी पक्षी हैं, लेकिन विगत लंबे समय से मोती तालाब परिसर में रहने से अब ये स्थायी रूप से रहते हैं। विगत कुछ दिनों से पक्षयों के अचानक मरने की जानकारी मिल रही है, जिन्हें नगर पालिका का अमला उठाकर फेंक देता है। वहीं, मौके पर पहुंचकर वस्तुस्थिति को देखा गया तो कुछ छोटे पक्षियों के साथ ही बड़े साइबेरियन पक्षी भी मरे पड़े थे। निश्चित तौर पर छोटे पक्षयों की मौत कमजोरी के कारण घोंसले से गिरने से हो सकती है, लेकिन बड़े पक्षियों की मौत संदेह उत्पन्न करती है। इसकी सही स्थिति जानने के लिए स्टाफ को निगरानी में लगाया गया है और पक्षियों की लैब में जांच करने पर ही पता लग पाएगा। वर्तमान समय में लंपी नामक बीमारी समेत अन्य संक्रमित बीमारी चल रही है। इनसे भी पीडि़त होने की संभावनाओं को झुठलाया नहीं जा सकता है।-डा. घनश्याम परते, पशु रोग विशेषज्ञ व नोडल अधिकारी, पशु चिकित्सा विभाग।