नक्सल प्रभावित गांवों की समस्याओं को सुलझाने बालाघाट पुलिस कर रही नवाचार
बालाघाट। मध्यप्रदेश का बालाघाट जिला नक्सलवाद का विगत कई सालों से प्रमुख केंद्र बना है। इसके जंगल मार्ग से नक्सली छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र के बीच आसानी से आवागमन करने के साथ ही कैंप आदि लगाकर दलम को विस्तार देने का कार्य करते है। इतना ही नहीं नक्सली बालाघाट के ग्रामीणों को डरा धमकाकर राशन समेत अन्य सामग्री की उपलब्धता को भी पूर्ण करते है। वहीं नक्सलवाद की समस्याओं से जूझ रहे दुर्गम पहाड़ी व घने जंगलों के आसपास रहने वाले गांवों के इन ग्रामीणों तक मुलभूत सुविधाओं का अभाव होने से यहां नक्सलवाद वर्षो से पैर जमाए हुए है।
नक्सलवाद की इस समस्या को दूर करने के साथ ही इन क्षेत्रों के ग्रामीणों को सुविधाओं उपलब्ध कराकर उनसे मेत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने बालाघाट पुलिस जन मेत्री प्रोग्राम के माध्यम से नवाचार कर रही है। जागरुक जनता सजग पुलिस दिया स्लोगनबालाघाट पुलिस ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जन मेत्री प्रोग्राम को चलाने के लिए जागरुक जनता सजग पुलिस सुरक्षत समाज स्लोगन दिया है। जिसके तहत पुलिस नक्सल क्षेत्र के गांवों में प्रोग्राम का आयोजन कर जन चौपाल लगाकर ग्रामीणों की मुलभूत सुविधाओं की समस्याओं को सुनेगी और उनका निराकरण करवा ग्रामीणों को लाभ दिलवाएगी। इसके साथ ही स्वास्थ्य शिविर, खेल प्रतियोगिता, सामुहिक भोजन, खेल सामग्री का वितरण, खैल मैदान आदि बनाकर ग्रामीणों से संवाद स्थापित करने का प्रयास भी करेगी।
जिले में ये क्षेत्र है अति नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले के लांजी, बैहर, परसवाड़ा, बिरसा, गढ़ी, किरनापुर विकासखंड प्रमुख रुप से नक्सली क्षेत्र कहलाते है, जहां पहाड़ी व जंगल होने से नक्सली आना जाना करते है और ग्रामीणों की बैठक लेकर उन्हें डराते धमकाते रहते है। इतना ही नहीं कई बार तो मुखबिरी के शक पर ग्रामीणों को अगवा कर उनकी हत्या तक कर रहे है। वहीं दहशत फैलाने के लिए इन क्षेत्रों में हो रहे निर्माण कार्यो की सामग्री को जलाने व मजदूरों को भगाने का कार्य भी नक्सली अंजाम दे रहे है। वहीं इन क्षेत्रों से छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र की सीमा लगी होने से नक्सली आसानी से आवागमन भी करते रहते है। जिसके चलते ही बालाघाट पुलिस ने जन मेत्री प्रोग्राम को तैयार कर नक्सल प्रभावित इन क्षेत्रों पर फोकस किया है। तीन सालों में नक्सली हिंसा में चार ग्रामीणों की हुई मौत बालाघाट जिले में नक्सली हिंसा के चलते तीन सालों में चार ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। यहां 2019 में ग्राम मुंडा निवासी ब्रजलाल पंद्रे, 2020 में पुजारी टोला निवासी सोनू टेकाम, 2020 में ही मंडई निवासी झामसिंह धुर्वे व 2021 में बम्हनी निवासी भागचंद आर्मो की नक्सली हिंसा में मौत हो चुकी है।
इनका कहना
जन मैत्री कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जिले के संवेदनशील नक्सल प्रभावित व दुर्गम क्षेत्र में निवासरत ग्रामीणों को शासन की समस्त योजनाओं से लाभांवित कर आमजन की विभिन्न समस्याओं का निराकरण करने के लिए एक मंच प्रदान करने का प्रयास करना है।जिससे की इस माध्यम से जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों में जागरुकता व सुरक्षा की भावना का विकास कर उन्हें राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया जा सके। नक्सली ग्रामीणों को बरगला नहीं सकेंगे और पुलिस ग्रामीणों के बीच सामजंस्य स्थापित कर नक्सली उन्मूलन के कार्य किया जा सकेगा।- समीर सौरभ, पुलिस अधीक्षक