जंगलों में बढ़ाई सर्चिंग, चप्पे-चप्पे पर रहेगी पुलिस की निगाहें
बालाघाट. जिले के जंगलों में सर्चिंग बढ़ा दी गई है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस की निगाहें रहेगी। नक्सली शहीदी सप्ताह को लेकर जवानों ने मोर्चा संभाल लिया है। नक्सलियों के आवागमन वाले क्षेत्रों को पुलिस ने टारगेट करके रखा है। ताकि नक्सली किसी भी वारदात को अंजाम न दे सकें। जवानों की सक्रियता के चलते नक्सलियों के हौंसले पस्त है। जानकारी के अनुसार जिले के लांजी, किरनापुर, दक्षिण बैहर और कान्हा नेशनल पार्क क्षेत्र में नक्सलियों का मूवमेंट बना हुआ है। लेकिन नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे पा रहे हैं। हाल ही में नक्सलियों ने किरनापुर थाना क्षेत्र में बेनर, पोस्टर बांधकर अपनी मौजूदगी का एहसास कराया है। बीते दिनों मुठभेड़ में आधा दर्जन इनामी नक्सली मारे गए हैं। जिसके चलते नक्सलियों की पकड़ ग्रामीणों में कम हो गई है। जिसके चलते नक्सलियों का मूवमेंट भी कम हो गया था। लेकिन एक बार फिर से नक्सलियों ने अपनी सक्रियता शुरु कर दी है। उल्लेखनीय है कि नक्सली 28 जुलाई से 3 अगस्त तक नक्सली शहीदी सप्ताह मनाते हैं।
इन रास्तों पर रहती है पुलिस की निगाहें
बालाघाट जिला छग राज्य के कवर्धा कबीर धाम , राजनांदगांव और मंडला जिले से भी जुड़ा हुआ है। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र राज्य के गोंदिया जिले की सीमा भी जिले से लगी हुई है। इन तीनों ही क्षेत्रों में जंगल अधिक है। जिसके चलते नक्सली छग और महाराष्ट्र राज्य से जंगल के रास्ते बालाघाट जिले में पहुंचते हैं। नक्सलियों ने दक्षिण बैहर क्षेत्र को छोडकऱ अब कान्हा नेशनल पार्क क्षेत्र को अपना ठिकाना बनाया है। कान्हा नेशनल पार्क के कोर एरिया में नक्सली खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। इन्हीं क्षेत्रों में जवान लगातार चौकसी करते रहते हैं। जवानों की सक्रियता के चलते नक्सली अपना ठिकाना भी बदल रहे हैं।
हॉक फोर्स, सीआरपीएफ, पुलिस के जवान कर रहे सर्चिंग
कान्हा नेशनल पार्क सहित जिले के अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में नक्सलियों के मंसूबों को विफल करने के लिए हॉक फोर्स, सीआरपीएफ और पुलिस के जवानों ने मोर्चा संभाला हुआ है। एसपी समीर सौरभ के निर्देशन में जवान नक्सलियों के मंसूबों को लगातार विफल कर रहे हैं। उनके ठिकानों को ध्वस्त भी कर रहे हैं।
अलग-अलग दलों में सक्रिय हैं नक्सली
जिले में नक्सली अलग-अलग दलों में सक्रिय हैं। जिसमें प्रमुख रुप से विस्तार दलम, मलाजखंड दलम, खटिया मोचा दलम, प्लाटून दलम, टांडा दलम, दर्रेकसा दलम सहित अन्य दल शामिल है। मौजूदा समय में एक दल में नक्सलियों की संख्या 6 से 12 या इससे अधिक है। दरअसल, अभी वर्षा ऋतु का सीजन है। इस समय नक्सली किसी भी बड़ी घटना को वारदात नहीं देते हैं। दक्षिण बैहर, कान्हा नेशनल पार्क क्षेत्र में दर्जनों की संख्या में नक्सली मौजूद है। इन नक्सलियों की कमान बाहर राज्यों से आए नक्सलियों ने संभाली है। इन नक्सलियों की भाषा भी अलग है, जो स्थानीय ग्रामीणों के समझ से परे है।
इन क्षेत्रों में सक्रिय रहते हैं नक्सली
जिले के सोनगुड्डा, डाबरी, पितकोना, चालीसबोड़ी, देवरबेली, चौरिया, कदला, बम्हनी, पालागोंदी, माटे, सुलसुली, सायर, संदूका, टेमनी, केराडीह, खमारडीह, बोदरा, आमानाला, नल्लेझरी, बरगुड, सतोना, चिलकोना, हर्राडीह, कोणपा, नरपी सहित अन्य गांवों के जंगलों में नक्सली सक्रिय रहते हैं।
इनका कहना
नक्सलियों के उन्मूलन के लिए पुलिस हमेशा तत्पर है। सीमावर्ती क्षेत्रों में जवानों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। नक्सली शहीदी सप्ताह को लेकर जंगलों में सर्चिंग बढ़ा दी गई है। नक्सलियों के आवागमन वाले क्षेत्रों पर विशेष निगाहें रखी जा रही है। अन्य राज्यों के नक्सली उन्मूलन में लगे जवानों से आपसी समन्वय स्थापित कर कार्य किया जा रहा है। -समीर सौरभ, एसपी, बालाघाट