चंद्रयान की सफलता में बालाघाट के दो लाल का भी योगदान, एक ने प्रोजेक्ट मैनेजर तो दूसरे ने निभाई नेविगेटर की भूमिका

 चंद्रयान की सफलता में बालाघाट के दो लाल का भी योगदान, एक ने प्रोजेक्ट मैनेजर तो दूसरे ने निभाई नेविगेटर की भूमिका 


बालाघाट। चंद्रपथ पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद भारत ने पूरी दुनिया में अपना डंका बजवाया है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले भारत ने ये उपलब्धि हमारे महान वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और अथक प्रयास से हासिल की है। वैज्ञानिकों की इसी टीम में बालाघाट के भी दो लाल ने भी अहम भूमिका निभाई है। नक्सली क्षेत्र बिरसा के महेंद्र ठाकरे ने जहां चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा में भेजने वाली राकेट टीम प्रोजेक्ट मैनेजर की जिम्मेदारी संभाली तो कटंगी के शासकीय स्कूल में 12वीं तक शिक्षा प्राप्त करने वाले प्रमोद सोनी ने चंद्रयान मिशन में बतौर नेविगेटर काम किया है। इसमें प्रमोद और उनकी टीम ने लॉन्चिंग से लैंडिंग तक चंद्रयान की दिशा पर निगरानी रखी। बिरसा तहसील के छोटे-से गांव कैंडाटोला में रहने वाले महेंद्र कुमार ठाकरे (44) उस टीम में शामिल रहे, जिसने चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा में भेजा है। इस टीम को रॉकेट टीम कहा जाता है। पिछले 16 सालों से इसरो में हैं। उन्होंने नईदुनिया से चर्चा में कहा कि चंद्रयान-3 जैसे ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा होना गर्व का अहसास कराता है। भारत ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने कहा कि इसरो में जब-जब जो प्रोजेक्ट या काम आते हैं, उन्हें अपने वरिष्ठ वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में पूरा करते हैं।

 कटंगी में गुजरा बचपन, सेवानिवृत्ति के बाद सिवनी में बसे 

चंद्रयान मिशन में नेविगेटर की भूमिका में रहने वाले प्रमोद सोनी का बचपन बालाघाट की कटंगी तहसील में गुजरा। उनके पिता नीलकंठ सोनी पीडब्ल्यूडी विभाग में एसडीओ थे। सेवानिवृत्ति के बाद उनका परिवार सिवनी जिले में जा बसा। प्रमोद ने बताया कि इस सफलता के पीछे इसरो के सभी वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत है। ये पल भावुक करने वाला और गर्व का अहसास कराने वाला है।

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