सो रहा वन अमला, परेशान हो रहे वन्य प्राणी, वन्य जीवों का हो सकता है शिकार

 सो रहा वन अमला, परेशान हो रहे वन्य प्राणी, वन्य जीवों का हो सकता है शिकार


  बालाघाट. मानसून अवधि में जंगल सफारी में प्रतिबंध लगा हुआ है। लेकिन जंगल में नाइट सफारी हो रही है। वन अमला गश्त करने की बजाय सो रहा है। रात्रि में वाहनों की आवाजाही से वन्य प्राणी परेशान हो रहे हैं। वन्य जीवों के शिकार किए जाने की संभावना भी बढ़ रही है। बावजूद इसके वन विभाग लापरवाह बना हुआ है। मामला दक्षिण सामान्य वन मंडल के अंतर्गत आने वाले सोनेवानी जंगल का है।

  जानकारी के अनुसार दक्षिण सामान्य वन मंडल लालबर्रा के सोनेवानी के जंगल में वन्य जीव, वन्य प्राणियों की भरमार हैं। यह वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र घोषित है। यहां पर मानसून अवधि में सफारी पर प्रतिबंध लगा हुआ है। बावजूद इसके नियमों को ताक पर रखकर रात्रि के समय सफारी की जा रही है। विडम्बना यह है कि इस सफारी के लिए जिस क्षेत्र से होकर आवागमन किया जाता है, उस मार्ग में वन विभाग का कार्यालय भी है। लेकिन वन अमले को न तो वाहन की आवाज सुनाई दे रही है और न ही सफारी करने वालों के आपस की गुफ्तगूं। इससे स्पष्ट होता है कि नाइट सफारी करने वालों के साथ वन अमले की भी मिली भगत है।

  उल्लेखनीय है कि वन विभाग भोपाल ने हाल ही में बाघों का गणना पत्रक जारी किया है। जारी गणना पत्रक में दक्षिण सामान्य वन मंडल लालबर्रा के सोनेवानी, सिलेझरी, नवेगांव, चिखलाबड्डी, टेकाड़ी में 49 बाघ होना बताया गया है। इसी तरह से सरकारी आंकड़ों में लामता प्रोजेक्ट वनक्षेत्र के कंजई, भांडामुर्री, सेल्वा में 14 बाघों की संख्या सामने आई है। 

वीडियो हुआ वायरल

  सोनेवानी के जंगल में नाइट सफारी का वीडियो वायरल हुआ है। नाइट सफारी कर रहे लोगों ने स्वयं ही इसका वीडियो बनाया है। हालांकि, पत्रिका इसकी पुष्टि नहीं करती है। लेकिन वायरल वीडियो में साफ-साफ नजर आ रहा है कि कुछेक लोग वाहन में नाइट सफारी कर रहे हैं। सफारी के दौरान उन्हें जंगल का राजा बाघ नजर आता है। टार्च और वाहन की तेज रोशनी में बाघ परेशान हो रहा है। काफी देर एक ही स्थान पर रहने के बाद अपने क्षेत्र से मूवमेंट कर ओझल हो जाता है। इस दौरान सफारी कर रहे युवकों के आपस में बातचीत का कुछ अंश भी उसमें रिकार्ड हुआ है। 

मानसून अवधि में रहता है प्रतिबंधित

जंगल सफारी को मानसून अवधि में प्रतिबंधित कर दिया जाता है। दिन में जंगल सफारी का आनंद 1 अक्टूबर से लिया जा सकता है। लेकिन रात्रिकालीन सफारी वैसे भी प्रतिबंधित रहती है। प्रतिबंध अवधि में कोई भी व्यक्ति जंगल की सफारी नहीं कर सकता है। बावजूद इसके सोनेवानी के जंगल में सफारी हो रही है। 

वन अमले से सांठगांठ 

सोनेवानी के जंगल में रात्रिकालीन सफारी बगैर वन अमले के सांठगांठ के संभव नहीं है। नाइट सफारी करने वाले लोगों को वन अमला स्वयं प्रोत्साहित कर रहा है। इतना ही नहीं जंगल और वन्य प्राणियों की रक्षा करने वाला वन विभाग स्वयं जीवों की जान को जोखिम में डाल रहा है। 

वन्य जीवों का हो सकता है शिकार

  नाइट सफारी के दौरान छोटे वन्य जीवों के शिकार की संभावना बढ़ जाती है। दरअसल, घने जंगल के भीतर रात्रि के समय वन अमले के अलावा कोई और नहीं जा सकता। ऐसे में नाइट सफारी करने वाले छोटे वन्य जीवों का शिकार करते हैं तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा।

 इनका कहना है

  मानसून अवधि में सफारी पर प्रतिबंध रहता है। यदि सोनेवानी के जंगल में नाइट सफारी हुई है तो इस मामले की जांच की जाएगी। संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी। -हर्षित सक्सेना, रेंजर, दक्षिण सामान्य वन मंडल लालबर्रा

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